20+ Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral | हिंदी कहानिया

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हेलो दोस्तों आज हम पंचतंत्र कहानी के बारे में पढ़ेंगे साथ ही जानेगे हम इन कहानी के बारे में जो की आपके लिए है काफी इंट्रेस्टिंग कहानिया है खास कर बच्चो के लिए जो हम मनोरंजन के लिए ऐसी कहानिया आपको बताने वाले है जिनको पढ़कर आपको अच्छा लगेगा यहां आपके ज्ञान के कौशल के साथ साथ अच्छी अच्छी जानकारी साथ ही मनोरंजन भी मिलेगा।

इसलिए आप हमारी सारी “Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral” को पढ़े ताकि आपको भी जो बच्चे है उनको भी मज़ा आये जो बढे है उनको भी मज़ा आये शुरू करते है।

Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral
Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral

 

प्यारी तितली रानी (Panchatantra Short Stories in Hindi)

एक बार की बात है, एक दूर के राज्य में तितली रानी नाम की एक सुंदर तितली रहती थी। उसके चमकीले पंख थे जो विभिन्न रंगों में झिलमिलाते थे, जिसने उसे देखने वाले सभी की प्रशंसा को आकर्षित किया। तितली रानी सिर्फ खूबसूरत ही नहीं थी; वह दयालु और बुद्धिमान भी थी।

एक दिन पूरे राज्य में यह समाचार फैल गया कि राजपरिवार के सम्मान में एक भव्य उत्सव आयोजित किया जाना है। राज्य के कोने-कोने से लोगों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था, और सबसे शानदार तितली के लिए एक प्रतियोगिता होगी।

त्योहार के बारे में सुनकर तितली रानी रोमांचित हो गईं। उसे विश्वास था कि उसकी सुंदरता ही उसे स्पष्ट विजेता बनाएगी। उत्साह और आत्मविश्वास के साथ, उसने अपने पंख फड़फड़ाए और उत्सव के लिए निकल पड़ी।

जैसे ही तितली रानी उत्सव के मैदान में पहुंची, उसने सभी आकार, आकार और रंगों की तितलियों को देखा। हर एक का अपना एक अलग सौंदर्य था। तितली रानी को थोड़ी बेचैनी होने लगी। उसने महसूस किया कि वह वहाँ अकेली तेजस्वी तितली नहीं थी।

अन्य तितलियों के बीच उसने गौरी नाम की एक साधारण सी दिखने वाली तितली को देखा। गौरी के सादे पंख थे जिनमें कोई जीवंत रंग या जटिल पैटर्न नहीं था। तितली रानी को आश्चर्य हुआ और आश्चर्य हुआ कि गौरी ने प्रतियोगिता में क्यों प्रवेश किया।

जैसे ही प्रतियोगिता शुरू हुई, प्रत्येक तितली को अपने पंखों का प्रदर्शन करना था और अपनी कृपा और सुंदरता का प्रदर्शन करने के लिए नृत्य करना था। तितली रानी ने अपने रंग-बिरंगे पंख फड़फड़ाए, घुमाए और शान से घूमे। दर्शक उनकी अदाओं पर मुग्ध हो गए।

आखिर में गौरी की बारी थी। वह धीरे-धीरे उड़ना शुरू कर दिया, सरल लेकिन सुंदर आंदोलनों के साथ। हालांकि उसके पंख तितली रानी की तरह आकर्षक नहीं थे, लेकिन गौरी के नृत्य में शांति और शांति की आभा थी। दर्शक उसके शांत प्रदर्शन के लिए तैयार थे।

जब विजेता की घोषणा करने का समय आया, तो फैसला करने वालो को एक मुश्किल फैसलो का सामना करना पड़ा। तितली रानी की सुंदरता निर्विवाद थी, लेकिन गौरी की सादगी का अपना ही आकर्षण था। काफी सोच-विचार के बाद, जजों ने तितली रानी और गौरी के बीच टाई घोषित किया।

तितली रानी परिणाम से हैरान थी। उसने बिना किसी प्रतियोगिता के जीतने की उम्मीद की थी। हालाँकि, जब उसने गौरी को देखा, तो उसे एहसास हुआ कि असली सुंदरता केवल बाहरी दिखावे के बारे में नहीं है। यह कृपा, विनम्रता और अंदर की चमक के बारे में था जो एक के पास थी।

तितली रानी ने गौरी से संपर्क किया और कहा, “तुमने मुझे एक मूल्यवान सबक सिखाया है, मेरे प्रिय मित्र। सच्ची सुंदरता न केवल जीवंत रंगों में बल्कि किसी के दिल की शुद्धता और सुंदर के साथ खुद को ले जाने में भी निहित है। मुझे दिखाने के लिए धन्यवाद वह सुंदरता सभी रूपों में आती है।”

उस दिन से, तितली रानी और गौरी अविभाज्य मित्र बन गए। वे आंतरिक सुंदरता को अपनाने और प्रत्येक व्यक्ति की विशेषता की सराहना करने का संदेश फैलाते हैं। उनकी दोस्ती ने याद दिलाया कि सच्ची सुंदरता आत्मा का प्रतिबिंब है।

शिक्षा – 

तितली रानी की कहानी हमें सिखाती है कि सुंदरता केवल बाहरी दिखावे से परिभाषित नहीं होती है बल्कि यह एक व्यक्ति की दया, विनम्रता और वास्तविक स्वभाव में पाई जाती है। 

लोमड़ी और कौआ (Panchatantra Short Stories in Hindi)

लोमड़ी और कौआ

एक बार की बात है, एक लोमड़ी एक पेड़ पर बैठी हुई थी। वह खाना खाने के लिए इंतजार कर रही थी। तभी एक कौआ उसी पेड़ की ऊपर आकर बैठ गया। कौआ अपने मुंह में एक टुकड़ा रोटी लेकर उड़ान भर रहा था। लोमड़ी ने उसे देखा और उसकी दिलचस्पी जगाई।

लोमड़ी ने कौआ से कहा, “नमस्ते! आपके पास एक बहुत ही सुंदर आवाज है। क्या आप मुझे गाना सिखा सकते हैं?”

कौआ गर्व से भरी हुई आवाज में बोला, “हां, मैं तो बहुत अच्छा गाता हूँ। मुझे गाना सिखाना बहुत आसान है।”

लोमड़ी ने विश्वास दिखाते हुए कहा, “ठीक है, मुझे बहुत खुशी होगी अगर आप मुझे गाना सिखा सकें।”

कौआ ने मुंह खोलते ही एक टुकड़ा रोटी गिरा दिया और नीचे उड़ गया। लोमड़ी ने तुरंत रोटी को छिपाया और खुशी से बोली, “वाह, आपकी आवाज वास्तव में अद्भुत है!”

बाद में, लोमड़ी ने अपने दोस्त भालू को बताया कि कौआ उसे गाना सिखाने आया था। भालू ने उसे समझाया कि कौआ ने उसे धोखा दिया है। लोमड़ी ने अपनी भूल समझी और उससे गाना सिखने की इच्छा छोड़ दी।

शिक्षा – 

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें दूसरों की बातों में आसानी से विश्वास नहीं करना चाहिए। सबका आवाज सुनने के बाद हमें सोचना चाहिए और सत्य को जांचने के बाद ही निर्णय लेना चाहिए।

खरगोश की बुद्धिमानी (Panchatantra Short Stories in Hindi)

खरगोश की बुद्धिमानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक खरगोश रहता था। वह बहुत ही बुद्धिमान और चतुर था। वह जानता था कि वह जंगल के अन्य जानवरों से बहुत तेज़ और दौड़ सकता है, लेकिन उसकी शारीरिक ताकत कमजोर थी।

एक दिन, खरगोश ने देखा कि एक भालू आस-पास घूम रहा है। वह अचानक एक पेड़ के पास आकर खड़ा हो गया और बिना किसी सूचना के वहां खड़ा रहने लगा। खरगोश ने इसे देखा और विचार किया, “इसके पास कोई योजना है। मुझे इसकी योजना जाननी चाहिए।”

खरगोश ने जानबूझकर वहां से दूसरी ओर दौड़ा, जहां से भालू ने आया था। वह दौड़ते-दौड़ते एक गड्ढे में गिर गया और चिपक गया। फिर उसने अपनी आवाज बदलकर कहा, “ओये भालू! मैंने दूसरी ओर जाते समय सोचा था कि तुम कहीं छिप न गए हो, लेकिन मुझे लगता है तुम एक बड़ा मौका चूक गए हो।”

भालू ने खरगोश को सुना और डर गया। वह जल्दी से वहां से भागने लगा, छोड़ते हुए अपनी योजना और रास्ता बदल दिया।

खरगोश ने बुद्धिमानी से भालू को चकमा दिया और अपनी जान बचाई।  बड़ी और ताकतवर जानवरों के सामने हमें बुद्धिमानी का उपयोग करना चाहिए और सामरिक ताकत के साथ-साथ अपने दिमाग का भी इस्तेमाल करना चाहिए।

शिक्षा – 

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि बुद्धिमानी और चतुराई हमें कठिनाइयों से बचाने में मदद कर सकती है।
 

राजा और भालू (Panchatantra Short Stories in Hindi)

राजा और भालू

बहुत समय पहले की बात है, एक गरीब राजा अपने राज्य में राज करता था। एक दिन, एक भालू उसके राजमहल के पास आया और उसकी आवाज सुनकर राजा ने उसे देखा। वह भालू बहुत ही विचलित और पीड़ित दिख रहा था।

राजा ने भालू से पूछा, “ओ भालू, तुम इतना उदास क्यों हो? क्या कोई समस्या है?”

भालू ने दर्दभरी आवाज में कहा, “महाराज, मेरा जंगल आग से जल रहा है और मेरे सभी सहपाठी मर गए हैं। मैं अकेला और बेसहारा हो गया हूँ। कृपया मेरी सहायता करें!”

राजा ने भालू की समस्या सुनकर उसकी मदद करने का निर्णय लिया। उसने अपने सेना को भालू के जंगल की ओर भेजा और उन्हें आग बुझाने के लिए आदेश दिया। सेना ने जल्दी से जंगल में पहुंचकर आग को बुझा दिया।

भालू ने राजा के प्रति अपना आभार प्रकट किया और उसने कहा, “महाराज, आपकी बड़ी कृपा हुई। मैं आपके ऋणी हूँ और मैं जब भी आपकी सेवा में उपयोगी हो सकूंगा, मैं आपकी सेवा के लिए तत्पर रहूँगा।”

राजा ने भालू की सच्ची भक्ति को देखकर उसे अपने साथ रखने का निर्णय लिया। भालू राजा के राजमहल में रहने लगा और उसकी सेवा करने लगा।

शिक्षा – 

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति, विश्वास और सेवा एक सम्पूर्ण समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। जब हम दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं, तो हम अपनी अद्वितीयता छोड़ते हैं और एक बड़ी परिवार की सदस्यता का आनंद लेते हैं।

लालची कौआ 

 एक छोटा-मोटा गांव में एक लालची कौआ रहता था। वह बहुत ही बुद्धिमान और होशियार था, लेकिन उसका एक बड़ा दोष था – वह बहुत ही लालची था। वह खुद को सबसे बड़ा और सबसे अमीर सिद्ध करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था।

एक दिन, कौआ ने देखा कि एक आदमी एक छोटे से बंदूकधारी को साथ लेकर जंगल में जा रहा है। वह आदमी बहुत धनी और समर्थ दिख रहा था। कौआ ने तुरंत एक ख़ास योजना बनाई – वह चाहता था कि वह आदमी अपना सब संपत्ति छोड़कर चला जाए और वह उसे चुरा ले।

कौआ ने आदमी के पीछे चलकर एक पेड़ पर उड़ते हुए बंदूकधारी की तरफ से जोता गिराया। तब वह नीचे आदमी को बताने के लिए उड़ान भरता हुआ उससे कहने की कोशिश की, “अरे भैया, देखो देखो! वह जोता जो गिरा है, यह आपकी ही बंदूकधारी ने गिराया है! यह उसकी कुछ भीम चीज़ हो सकती है। आप इसे ज़रूर देखें!”

आदमी ने इसकी बात सुनी और जोते की ओर ध्यान दिया। कौआ ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए जल्दी से उसके पास उड़ आया और उसे चुरा लिया। इसके बाद कौआ बहुत खुश हुआ, लेकिन उसकी खुशी जल्दी से ध्वस्त हो गई।

कौआ द्वारा किए गए चोरी के कारण, आदमी ने जब अपनी खोई हुई संपत्ति की खोज की, तो उसने कौआ को देख लिया और उसे पकड़ लिया। वह अपनी चालाकी के बदले सजा भुगत रहा था।

शिक्षा – 

इस कहानी से हमें यह सिखाई जाती है कि लालच हमें खुद को बर्बाद कर सकता है। हमें सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और न्याय की पालना करनी चाहिए, न कि धन की लोभ की प्राथमिकता में रहनी चाहिए।

दोस्ती का फल

एक छोटे से गांव में दो बच्चे रहते थे। एक था राजू और दूसरा था रामू। राजू और रामू एक-दूसरे के पड़ोस में रहते थे और बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हर दिन साथ खेलते, मिलते और बहुत मज़े करते थे।

एक दिन, राजू और रामू ने एक छोटे पेड़ को देखा जिस पर बहुत सारे फल थे। वे दोनों ने वहां जाकर उस पेड़ के नीचे बैठकर फल खाना शुरू कर दिया। वे दोनों बहुत खुश थे क्योंकि उन्हें अपनी मित्रता का आनंद भी मिल रहा था और साथ ही एक स्वादिष्ट फल का आनंद भी।

बारिश के बाद, जब राजू और रामू कुछ समय के लिए नहीं मिल सके, तो वे दोनों अद्भुत रूप से उदास और अकेले महसूस करने लगे। वे एक-दूसरे को बहुत याद करते थे और उन्हें मिलने के लिए बहुत बेचैन हो गए।

फिर एक दिन, जब राजू और रामू एक-दूसरे से मिले, तो उनकी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। वे एक-दूसरे के गले लगे और अपनी दोस्ती का मिठास अनुभव की। उन्होंने समझा कि दोस्ती अद्वितीय है और एक ख़ास फल की तरह होती है, जिसे खोने के बावजूद हमेशा याद किया जा सकता है।

शिक्षा – 

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची दोस्ती अमूल्य होती है और हमें एक-दूसरे के साथ समय बिताने का आनंद लेना चाहिए। दोस्ती हमें खुशी, समर्पण, और समरसता प्रदान करती है, जो हमारे जीवन को सुंदर और पूर्ण बनाती है।

बंदर और मधुमक्खी

बंदर और मधुमक्खी की कहानी

एक जंगल में एक गीदड़ और एक मैना रहते थे। वे दोनों अपने आप में बहुत अच्छे दोस्त थे। रात के समय जब सभी जानवर सो रहे होते थे, तब गीदड़ और मैना मिलकर खेलने और बातें करने का आनंद लेते थे।

एक दिन, जब गीदड़ और मैना बातें कर रहे थे, तब गीदड़ ने मैना से कहा, “तुम इतना सुंदर गाते हो, मुझे भी गाना सीखाओ ना।” मैना ने मुस्कान करते हुए कहा, “अवश्य, मेरे प्यारे गीदड़, मैं तुम्हें गाना सिखा सकती हूँ।”

मैना ने अपनी सुरीली आवाज़ में एक गाना गाया और गीदड़ ध्यान से सुन रहा था। फिर उसने गाना अपने ही आवाज़ में गाने का प्रयास किया, लेकिन उसकी आवाज़ गाने के लिए उचित नहीं थी। गीदड़ को आदान-प्रदान करते हुए मैना ने कहा, “मेरे दोस्त, तुम्हारी विशेषता तुम्हारी आवाज़ है। तुम अपने अद्वितीय तल से अच्छा गाना कर सकते हो।”

गीदड़ ने समझा कि उसकी ख़ासियत उसकी आवाज़ है और उसे बहुत गर्व महसूस हुआ। उसने मैना को धन्यवाद दिया और दोस्ती की महत्वपूर्णता समझी।

शिक्षा – 

इस कहानी से हमें यह सिखाता है कि हम सभी अपनी अद्वितीयता और विशेषताओं के साथ अदालत करने चाहिए। हमारी दोस्ती का मूल्य हमारी अद्वितीयता में होता है और हमें खुद को स्वीकार करना चाहिए और दूसरों की समानता की प्रतिष्ठा करनी चाहिए।

 

सच्चा सौदागर

 

बीरबल की खिचड़ी 

एक बार की बात है, सम्राट अकबर ने अब तक की सबसे अच्छी खिचड़ी (चावल और दाल) का स्वाद चखने की इच्छा व्यक्त की। उनका मानना ​​था कि उनके शाही रसोइये सबसे स्वादिष्ट और असाधारण व्यंजन तैयार कर सकते हैं, लेकिन वह कुछ सरल लेकिन स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ अपने कौशल का परीक्षण करना चाहते थे।

अकबर ने अपने राज्य में एक प्रतियोगिता की घोषणा की, जिसमें सभी को सर्वश्रेष्ठ खिचड़ी का अपना संस्करण तैयार करने के लिए आमंत्रित किया। यह खबर दूर-दूर तक फैल गई और विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपनी विशेष खिचड़ी की रेसिपी बनाने लगे।

त्योहार के दिन बड़ी संख्या में रसोइया अपनी खिचड़ी तैयार करने पहुंचे। अकबर और उसके दरबार के सामने खिचड़ी व्यंजन पेश किए जाने पर विभिन्न मसालों की सुगंध हवा में भर गई।

सभी भव्य खिचड़ी व्यंजनों के बीच, बीरबल ने साधारण खिचड़ी का एक विनम्र बर्तन लेकर प्रवेश किया। बादशाह बीरबल के सादे और बिना अलंकृत पकवानों को देखकर हैरान रह गए, जो देखने में आकर्षक और विदेशी सामग्री वाले अन्य पकवानों के विपरीत थे।

अकबर ने बीरबल से पूछा, आप इतनी मामूली खिचड़ी क्यों लाए, जबकि बाकी सभी ज्यादा खिचड़ी तैयार कर चुके हैं?

बीरबल ने शांति से उत्तर दिया, “महाराज, मेरा मानना ​​है कि सबसे अच्छी खिचड़ी को उसके रूप या महंगी सामग्री से नहीं आंका जाता है। सच्ची परीक्षा इसके स्वाद और आत्मा को मिलने वाली आनंद में निहित है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, मेरी खिचड़ी प्यार से बनाई गई है।” और सादगी, और यह स्वाद में अन्य सभी को पार कर जाएगा।”

बीरबल की प्रतिक्रिया से प्रभावित अकबर ने उसकी खिचड़ी चखने का फैसला किया। जैसे ही उसने एक चम्मच लिया, बीरबल की साधारण खिचड़ी के स्वाद ने उसे आश्चर्यचकित और आनंदित कर दिया। इसमें मसालों का एकदम सही मिश्रण था, और चावल और दाल की बनावट को पूर्णता के लिए पकाया गया था।

अकबर बीरबल की खिचड़ी से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे प्रतियोगिता का विजेता घोषित कर दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि सच्ची निपुणता फिजूलखर्ची पर निर्भर रहने के बजाय सरल सामग्री से सर्वश्रेष्ठ स्वाद लाने में निहित है।

बीरबल की खिचड़ी” बीरबल की बुद्धिमत्ता, दिखावे से परे सोचने की उनकी क्षमता और सादगी में मूल्य खोजने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित करती है। यह खाना पकाने और जीवन के सार के बारे में उनकी समझ को प्रदर्शित करता है।

शिक्षा

कहानी का नैतिक यह है कि सादगी अक्सर छिपे हुए खजाने को धारण कर सकती है। यह हमें सादगी में सुंदरता की सराहना करना सिखाता है।

बीरबल का झूठ

एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल दरबार में बैठे हुए थे। अकबर अपने मनोरंजक सवाल के जरिए बीरबल को परीक्षा करने का फैसला किया।

उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल, तुम कहाँ कहाँ गए थे इस हफ्ते?”

बीरबल ने हंसते हुए जवाब दिया, “महाराज, मैंने जहाज पर सफ़र किया और चाँद पर घूमने गया था!”

अकबर बहुत ही हैरान हुए और उन्होंने बीरबल से पूछा, “बीरबल, क्या तुम मुझसे मजाक कर रहे हो? तुम तो जानते हो कि चाँद पर कोई भी जाने के लिए संभव नहीं है!”

बीरबल ने गंभीरता से अकबर की ओर देखते हुए कहा, “महाराज, आपने सही कहा है, चाँद पर जाना संभव नहीं है। लेकिन धरती के इंसान चांद पर जाने के लिए जहाज पर सफ़र करते हैं, तो मैंने सोचा कि मैं भी चाँद पर जा सकता हूँ!”

अकबर अद्भुत हो गए और उन्होंने कहा, “बीरबल, क्या यह सच है?”

बीरबल ने खामोशी से कहा, “महाराज, कभी-कभी झूठ बोलना सच को समझाने का सबसे अच्छा तरीका होता है। मैंने इस प्रश्न के जवाब में झूठा उत्तर दिया, लेकिन इससे हमें सच की पहचान होती है और हमें सत्य की महत्ता समझ में आती है।”

अकबर बीरबल के उत्तर से प्रभावित हुए और उन्होंने उन्हें दाना-दाना का बिरयानी विशेषज्ञ घोषित किया। उन्होंने साफ़ कहा कि बीरबल की बुद्धिमता, अक्ल, और समझ उन्हें महाराज के प्रश्नों के लिए सबसे अच्छा उत्तर देने की क्षमता देती है।

शिक्षा

इस कहानी से हमें सिखाया जाता है कि कभी-कभी झूठ बोलकर हम सत्य को समझने और समझाने का रास्ता अधिक आसान बना सकते हैं।

शेर और चूहा

एक जंगल में एक दिन एक बहुत बड़ा शेर (lion) और एक छोटा चूहा (mouse) रहते थे। शेर, जो अपनी महानता और शक्ति में विश्वास करता था, उसे चूहे पर कोई ध्यान नहीं था। शेर को यह सोचकर मजा आने लगा कि एक छोटा सा चूहा उसके सामरिक बल के सामर्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकता है।

एक दिन, शेर जंगल में घूमते हुए अचानक एक जाल में फंस गया। उसने तरसते हुए अपनी मदद के लिए चिल्लाया, लेकिन कोई भी उसकी सहायता नहीं करने आया।

वहां से आवाज आने पर छोटा सा चूहा उसे देखकर उसके पास गया। चूहा जल्दी समझ गया कि शेर फंस गया है और उसकी मदद की जरूरत है। वह बिना सोचे ही उसके पास चला गया और शेर की प्राथमिकता थी उसे बचाना।

चूहा ने आक्रमणकारी जाल को काट दिया और शेर को स्वतंत्र कर दिया। शेर चूहे की देखभाल के लिए बहुत ही आभारी था। उसने चूहे से कहा, “तुमने मेरी जान बचाई है। मैं तुम्हारा कर्जदार हूँ। अगर तुम्हें किसी भी समय मेरी सहायता चाहिए, तो सिर्फ एक बार कहना। मैं तुम्हारी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहूँगा।”

दिन बितते गए और एक दिन जब शेर भूखा था और उसे शिकार नहीं मिल रहा था, तब उसने चूहे को बुलाया। शेर ने कहा, “मेरे दोस्त, मैं बहुत भूखा हूँ और मुझे खाने की तलाश है। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?”

चूहा अपनी छोटी सी बातीस के साथ जंगल के भोजन संग्रह की ओर चला गया और शेर को एक छोटी सी खास मुर्गी का अंडा लाया। शेर ने खाकर अपनी भूख शांत की और चूहे को धन्यवाद दिया।

इस घटना से शेर को समझ आया कि छोटी चीजें भी किसी के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं। छोटा सा चूहा ने अपनी छोटी सी सहायता से शेर की जान बचाई और उसे खाना दिया।

शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिखाया जाता है कि किसी भी साथी को नजदीकी सहायता प्रदान करने से हमें एक अच्छा और सदियों तक याद किया जाएगा।

बंदर और मगरमच्छ

एक जंगल में एक बंदर (monkey) और एक मगरमच्छ (crocodile) दोस्त थे। वे रोज़ एक झील के पास मिलकर खेलते थे और एक-दूसरे के साथ अपनी बातें करते थे।

एक दिन मगरमच्छ की पत्नी बहुत ही मिठाई पसंद करने लगी। उसकी पत्नी के खाने के लिए उसे बंदर के बारे में सोचना शुरू हुआ। मगरमच्छ ने योजना बनाई कि वह बंदर से मिठाई प्राप्त करेगा।

मगरमच्छ बंदर के पास गया और उसे अपनी पत्नी के बारे में बताया। वह बोला, “बंदर भाई, मेरी पत्नी बहुत ही मिठाई पसंद करती है। क्या तुम मेरी सहायता करोगे और मेरी पत्नी को खुश करने के लिए झील के पास के मिठाई के पेड़ से कुछ मिठाई ला सकते हो?”

बंदर ने सोचा कि यह एक अच्छा मौका है अपने दोस्त की मदद करने का। वह खुशी से सहमत हुआ और मगरमच्छ के साथ झील की ओर चला गया। बंदर झील में बड़े ही जोश से पेड़ के पास चला गया और मगरमच्छ के लिए मिठाई तोड़ने लगा।

मगरमच्छ खुशी के साथ मिठाई खाने लगा और बंदर की सहायता के लिए धन्यवाद कहा। उसने बंदर को अपने घर आने के लिए आमंत्रित किया।

दिन बितते गए और बंदर और मगरमच्छ एक-दूसरे के साथ बड़ी मित्रता से रहने लगे

शिक्षा

यह दिखाता है कि कभी-कभी हम अनुभव करते हैं कि हमारे द्वारा किए गए छोटे से प्रयास भी एक बड़े संबंध को नई ऊचाइयों तक ले जा सकते हैं।

हाथी और दांत

एक जंगल में एक बड़ा सा हाथी (Elephant) और एक छोटी सी मेढ़क (Mouse) रहती थी। हाथी अपनी शक्ति में गर्व करता था और वह सोचता था कि कोई छोटा सा जानवर उसे कोई नुकसान पहुंचा सकता है। मेढ़क को यह बात जानती थी, लेकिन वह अपने मित्र हाथी को बचाने के लिए उसके साथ हमेशा रहती थी।

एक दिन, हाथी जंगल में आक्रामक बंदरों के बीच घूम रहा था। वे हाथी को परेशान करने के लिए उसके पास आकर चिढ़ा रहे थे। हाथी ने उन्हें ध्यान नहीं दिया और अपनी यात्रा जारी रखी।

तभी एक बंदर ने एक बड़ा पत्थर हाथी के दांतों पर फेंक दिया। हाथी ने तत्परता से पत्थर को महसूस किया, लेकिन वह नहीं जानता था कि उसके दांतों को नुकसान पहुंचा है।

मेढ़क ने देखा कि हाथी को चोट लगी है और वह उसकी मदद के लिए भागी। वह आकर हाथी के पास बैठी और अपने छोटे से दांतों से हाथी के दांतों को हल्का सा मसाज करने लगी।

हाथी को छोटे दांतों का स्पर्श महसूस हुआ और वह बहुत ही चकित हो गया। उसने मेढ़क से पूछा, “तुम्हारे छोटे से दांतों से मेरे दांतों को आराम कैसे मिल रहा है?”

मेढ़क ने हंसते हुए कहा, “दोस्त, यह तो मेरी छोटी सी सेवा है। हम दोस्त हैं और दोस्तों की मदद करना हमारी जिम्मेदारी है।”

हाथी ने मेढ़क की मदद के लिए आभार व्यक्त किया और वह देखा कि छोटी सी मेढ़क ने भी उसे कैसे बचाया है।

शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिखाया जाता है कि दोस्ती में कोई साइज नहीं होती, और छोटे से प्रयास से भी हम अपने दोस्तों को मदद कर सकते हैं।

जादुई गधा

एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब लड़का रहता था जिसका नाम था रामू। रामू बहुत ही धनी लोगों के साथ रहने वाले गांव में रहता था, लेकिन उसे खाने के लिए कभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होता था। एक दिन रामू ने देखा कि एक जादूगर उसके गांव में आया है और उसके पास एक जादुई गधा है।

रामू ने जादूगर के पास जाकर कहा, “स्वामी, कृपया मुझे अपने जादुई गधे को दे दीजिए। मैं उससे सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकता हूँ।”

जादूगर ने मुस्कान देते हुए कहा, “ठीक है, रामू, मैं तुम्हें अपने जादुई गधे को दे रहा हूँ। लेकिन ध्यान रखो, तुम्हें इसका संभालना और इसका अच्छे से ध्यान रखना होगा।”

रामू खुशी से भरा हुआ था और वह जादूगर के द्वारा दिए गए जादुई गधे के साथ घर लौट आया।

जब रामू ने जादूगर द्वारा दिए गए जादुई गधे को खोला, तो उसे अचंभिती हुई। गधा बोलने लगा, “रामू, मैं तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकता हूँ। मुझे बताओ, तुम्हे क्या चाहिए?”

रामू बहुत खुश हुआ और उसने अपनी पहली मनोकामना कही, “मेरी पहली मनोकामना है कि मेरे पास बहुत सारे पैसे हों।”

जादुई गधा तत्परता से बोला, “तो हो जाएगा, रामू! अब तुम्हारे पास बहुत सारे पैसे हैं।”

रामू काफी खुश हुआ, लेकिन ध्यान दिया कि गधे ने बहुत सारे चालान और सिक्के गिने हैं, जो बहुत कम पैसे के बदले थे। रामू कहां बाँध सकता था कि उसे सचमुच में बहुत सारे पैसे चाहिएं थे।

रामू ने फिर से गधे के पास जाकर कहा, “मेरी मनोकामना थी कि मेरे पास बहुत सारे पैसे हों, लेकिन इन चालानों और सिक्कों के बदले में क्या मैं कुछ और ले सकता हूँ?”

जादूगर ने मुस्कान के साथ कहा, “रामू, सच्ची खुशी और आनंद धन के भीतर होते हैं। तुमने पैसे मांगे थे और तुम्हारे पास पैसे हैं, लेकिन क्या तुम असली खुशी और आनंद का अनुभव कर रहे हो?”

रामू गहरी सोच में पड़ गया और उसने समझा कि सच्ची खुशी और आनंद वास्तविक धन से भी महत्वपूर्ण होते हैं। उसने जादूगर से माफी मांगी और कहा, “आपने बिल्कुल सही कहा है, मुझे असली खुशी और आनंद की आवश्यकता है, न कि सिर्फ पैसे।”

जादूगर ने उसे आदरपूर्वक मुस्कान दी और कहा, “रामू, तुम एक बहुत ही समझदार और अच्छे दिल के धनी हो। अब से, यह जादुई गधा तुम्हारा अच्छा मित्र बन गया है और वह तुम्हें सदैव सच्ची खुशी और आनंद देगा।”

रामू बहुत खुश हुआ और उसने गधे के साथ सच्ची मित्रता और आनंद का आनंद लिया। उसने समझा कि धन और सामर्थ्य असली खुशी का जबरदस्ती से बदला नहीं कर सकते हैं।

शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि सच्ची मित्रता और आनंद ही हमेशा सत्य धन होते हैं।

लोमड़ी की सलाह

एक बार लोमड़ी और नसरुद्दीन बातचीत कर रहे थे। लोमड़ी ने नसरुद्दीन से पूछा, “तुम इतने बड़े गधे के साथ क्यों घूमते हो?”

नसरुद्दीन मुस्कुराया और उत्तर दिया, “यही बात है, लोमड़ी, बड़े गधे छोटे गधे से अधिक बुद्धिमान होते हैं।”

लोमड़ी हैरान हो गई और पूछा, “कैसे?”

नसरुद्दीन ने समझाया, “छोटे गधे को जब वो दारख़्त के नीचे चलता है, तो वह अपनी ऊँगली छुपा लेता है, क्योंकि वह सोचता है कि दारख़्त उसे खा न जाए। लेकिन बड़े गधे विचार करते हैं और दारख़्त के नीचे से आराम से गुजरते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि दारख़्त उन्हें खा नहीं सकता।”

लोमड़ी ने चिंता से अभिव्यक्ति की और कहा, “तो क्या तुम कहना चाहते हो कि हमें जो भी करना हो, हमें वह साहसपूर्वक करना चाहिए?”

नसरुद्दीन ने हँसते हुए कहा, “हाँ, लोमड़ी, वही सलाह है। हमें साहसिक होकर अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना चाहिए। डर और घबराहट हमें रोकती हैं, जबकि साहस और विचारशीलता हमें सफलता के रास्ते पर ले जाती हैं।”

लोमड़ी ने सोचा और मुस्कान में झुकते हुए कहा, “तुम सही कह रहे हो, नसरुद्दीन। हमें सबके मानसिक सीमाओं से बाहर निकलना चाहिए और अपनी असीमित संभावनाओं को पहचानना चाहिए।”

इस तरह, लोमड़ी ने नसरुद्दीन की सलाह से सीखा कि हमें आगे बढ़ने के लिए साहस और विचारशीलता की आवश्यकता होती है।

शिक्षा

यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि डर और संकोच हमें पीछे ले जाते हैं, जबकि साहस और विचारशीलता हमें आगे बढ़ाते हैं।

अली बाबा और तीन लंबे बाल

एक समय की बात है, एक गांव में अली बाबा नामक एक गरीब युवक रहता था। उसके गांव में एक समर्थ राजा भी था, जिसके यहां बहुत सारे लकड़ी के बंदर या मंकी रहते थे। इन बंदरों का काम होता था कि वे ऊँची ऊँची इमारतों पर चढ़कर उनके आराम के कमरे में सुरक्षा करते थे। राजा के आदेश पर उन्हें खाने के लिए गोलू नामक एक शेर खाने भी जाता था।

अली बाबा बंदरों के राजमार्ग से गुजरकर अक्सर राजमहल के पास जाया करता था। एक दिन, जब वह फिर से वहां से गुजर रहा था, तो उसने एक बात नोट की। उसने देखा कि राजमहल के छत पर दो बंदर खड़े हो रहे हैं, जो एक-दूसरे के बालों में झूल रहे थे।

यह दृश्य अली बाबा को आकर्षित कर गया। उसने सोचा कि इसमें कोई गहरी रहस्यता हो सकती है। उसने अपने दोस्त को इस बारे में बताया और दोनों ने मिलकर यह निश्चित किया कि यह राजमहल के बंदरों के चालाक योजना का हिस्सा है।

उन्होंने यह तय किया कि उन्हें राजमहल के अंदर जाकर बंदरों की योजना के बारे में जाननी चाहिए। तो वे एक दिन खाने के बहाने राजमहल में पहुंचे। गोलू नामक शेर खाने के लिए चला गया था और दूसरे बंदर राजमहल के चारों ओर इधर-उधर भटक रहे थे।

अली बाबा और उसका दोस्त एक बंदर के बालों में उलझे और उसे दूसरे बंदर के सामने लाएं और उसे बोले, “देखो, यह मेरे बंदे के बाल हैं, तुम्हें इन्हें टूटने में मदद करनी चाहिए।” दूसरे बंदर ने सचमुच में सोचा कि यह सच हो सकता है और उसने बंदर के बालों को छोड़ा ही नहीं।

अली बाबा ने देखा कि यह प्लान काम कर रहा है। तो उन्होंने अपने दोस्त से कहा, “अब इस बंदर के साथ कुछ अच्छा करेंगे।” और उन्होंने बंदर को उसके बाल टूटने नहीं दिए। बंदर ने धन्यवाद कहकर उन्हें छोड़ दिया।

अली बाबा और उसके दोस्त ने बंदरों की योजना का पर्दाफाश कर दिया और राजा को बताया। राजा ने इस पर गर्व किया और उन्हें बहुत सारा सम्मान दिया।

शिक्षा

इस कहानी से सीख मिलती है कि कभी-कभी हमारे आसपास चालाक लोग हो सकते हैं, जिन्हें हमें पहचानने की जरूरत होती है। हमें सतर्क रहना चाहिए और लोगों की निजी मोटिवेशन को समझना चाहिए।

अली बाबा और चालीस चोर

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में अली बाबा नामक एक आदमी रहता था। वह गांव के बड़े बाजार में कपड़े बेचता था। एक दिन वह बाजार में चोरों की एक बातचीत सुन रहा था।

चोरों की बातचीत में उन्होंने सुना कि वे एक अमीर व्यापारी के घर में चोरी करने की साजिश रच रहे हैं। ये सब सुनकर अली बाबा ने सोचा कि इसे रोकने के लिए एक योजना बनानी चाहिए। उन्होंने योजना बनाई और अमीर व्यापारी के घर पहुंच गए।

अली बाबा ने दरवाजा खटखटाया और कहा, “मैं एक जादुई गधा हूं और मैं इस अमीर व्यापारी को चोरों से बचाने के लिए आया हूं।”

अमीर व्यापारी, जिसका नाम अब्दुल था, बहुत परेशान था क्योंकि वह जानता था कि उसके घर में चोरी की साजिश रची जा रही है। उसने अली बाबा को अपने घर में आने की इजाज़त दी।

अली बाबा ने अमीर व्यापारी के घर में एक छोटे से कमरे में रहने की इजाजत मांगी। अमीर व्यापारी ने उन्हें छोटे कमरे में रहने की इजाजत दी।

दर-बदर घूमते समय, अली बाबा ने अपने दोस्तों को संकेत दिया और उन्हें कहा, “मेरी आवाज सुनकर तुरंत इस घर में पहुंच जाएंगे। जब तुम लोग यहां पहुंचोगे, तो मुझे जादुई गधे के रूप में बताना और उन चोरों को पकड़ लेना।”

अली बाबा ने जादूगर की तरह अमीर व्यापारी के घर में चलने-फिरने शुरू कर दी। अमीर व्यापारी के पड़ोसी और लोग आवाज सुनकर बहुत हैरान हो गए।

अगले ही क्षण, अली बाबा के दोस्त उस घर में पहुंच गए और उन्होंने अली बाबा को जादुई गधे के रूप में बताया। चोरों ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वे सभी गधे की वजह से उलझ गए। अली बाबा और उसके दोस्तों ने चोरों को पकड़ लिया और पुलिस को बुलाया।

चोरों को पकड़कर अली बाबा ने अमीर व्यापारी को सच्चाई बताई और उसे धन्यवाद दिया। अमीर व्यापारी ने अली बाबा को धन्यवाद कहा और उसे अपने घर में ठहरने की सुविधा दी।

शिक्षा

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि ईमानदारी और दोस्ती कभी-कभी हमें अपार लाभ पहुंचा सकती है। यदि हम अपने दोस्तों के साथ मिलकर मुसीबतों का सामना करें और एक-दूसरे की मदद करें, तो हम सबको संघर्षों से समझौता करने में मदद मिल सकती है।

निष्कर्ष

आज हमने आपको इन कहानियो के बारे बताया है आपको अगर अच्छा लगा है तोह आप जरूर बताये ताकि आप तक हम ऐसी ही नई – नई कहानिया आप तक पहुंचाते रहे साथ ही आप Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral के बारे में कमेंट करके हमें बताये की आपको कैसी लगी है ताकि हम आप तक ऐसी ही जानकारी नई – नई लेकर आये।

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